भाग्य Vs कर्म - An Overview
भाग्य Vs कर्म - An Overview
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कई बार पॉजिटिव थिंकिंग के पॉजिटिव रिजल्ट देखने के बाद भी हम अपनी निगेटिव थिंकिंग को दोष न देकर कहते हैं ….
कहीं टूटा पुल तो कहीं हेलीकॉप्टर क्रैश… लोगों के लिए साबित हुआ हादसों का रविवार!
मुझे एक ऐसे ही आचार्य की जरूरत थी जो किसी भी चीज को गहराई से देखते हों और उनके साथ अध्ययन कर के उनसे पूर्ण ज्ञान प्राप्ति कर सकें। कर्म करो और फल की चिंता ईश्वर पर छोड़ दो!! जय श्री कृष्णा!!
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः ॥
(मुझे लगा जैसे मैं अपने ही बनाये हुए जाल में फंस रहा था)
उपरोक्त उदाहरणों की रोशनी में यदि श्रीमद्भगवद्गीता के मशहूर श्लोक -कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोअस्त्वकर्मणि (तुम्हें कर्म (कर्तव्य) का अधिकार है, किन्तु कर्म-फल पर तुम्हारा अधिकारी नहीं है। तुम न तो कभी स्वयं को अपने कर्मों के फलों का कारण मानो और न ही कर्म करने या न करने में कभी आसक्त होओ) को देखा जाए तो तस्वीर बहुत कुछ साफ हो जाती है। इस श्लोक को लेकर लोग अक्सर सवाल उठाते हैं कि यदि कर्म-फल पर मनुष्य का अधिकार नहीं होगा तो वह कर्म करेगा ही क्यों?
न जाने कितने नाम हैं जिन्होंने महागारीबी से महाअमीरी तक का सफ़र तय किया
Karm pradhan vishv kr rakh,jo js kr hi so ts fl chakha.…..arthat vishv m krm hi pradhan h…jo jaisa karm krta h vaisa hi fl milta h. krm se hi bhagya k nirman hota h.n ki bhagya se krm ka..
जरा गौर करियेगा की हम कहाँ – कहाँ भाग्य को दोष देते हैं पर हमारा वो भाग्य किसी कर्म का परिणाम होता है
मैं-फिर आप कुछ भी कर लें, आपको उसका फल भुगतना ही पड़ता है।
ज्योतिष तो समय और कर्म check here की ही बात करता है। ज्योतिष कहता है कि इस समय में ऐसे कर्म करो और भाग्य बदल जाएगा, मगर मैं तुम्हें लिखकर दे सकता हूं कि भाग्य नहीं बदल सकता।
आचार्य जी-तो फिर आप ज्योतिष सीख कर क्या करना चाहते हो?
अर्थात:- मेहनत से ही कार्य पूरे होते हैं, सिर्फ इच्छा करने से नहीं। जैसे सोये हुए शेर के मुँह में हिरण स्वयं प्रवेश नहीं करता बल्कि शेर को स्वयं ही प्रयास करना पड़ता है।
अंत में, अब अगर मेरे विचार आपको तार्किक लगें व् कर्म की ओर प्रेरित करें तो आप इसे क्या कहेंगे … “ मेरा कर्म या मेरा भाग्य “ फैसला आप पर है
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